Details, Fiction and hindi kahani

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अर्थात अच्छी संगति का संगत करना चाहिए।

सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह

ईरान: इसराइल पर हमले के बाद देश में क्या है माहौल?

शांति ने ऊबकर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

संत ने बिच्छू को फिर अपने हाथ से निकाला। बिच्छू ने संत को फिर डंक मारा।

बिच्छू स्वभाव का उग्र होता है। वह सदैव दूसरों को नुकसान पहुंचाता है। संत स्वभाव से शांत होता है। वह दूसरों का कल्याण करता है।

के दूसरे बेटे ने इससे भी आगे सोचा। वह इस नतीजे पर पहुंचा कि शहर में सबसे सस्ता तो

वेद गर्मी की छुट्टी में अपनी नानी के घर जाता है। वहां वेद को खूब मजा आता है , क्योंकि नानी के आम का बगीचा है। वहां वेद ढेर सारे आम खाता है और खेलता है। उसके पांच दोस्त भी हैं, पर उन्हें बेद आम नहीं खिलाता है।

धीरे-धीरे वहां से लोगों ने कूड़ा फेंकना बंद कर दिया, और इतनी खूबसूरत पेंटिंग दीवार पर थी कि कोई अब वहां खड़े होकर पेशाब भी नहीं करता था। देखते ही देखते वह रास्ता साफ हो गया था।

अपने दोनों हाथों में उठाकर आसमान में ले गई। उन्हें छोड़ दिया, वह धीरे-धीरे उड़ रही थी।

एक बुद्धिमान राजा था। उसका काफी बड़ा साम्राज्य था। उसके राज्य में प्रजा हर तरह से खुशहाल थी। राजा को अपने उत्तराधिकारी की तलाश थी। उसके तीन बेटे थे। राजा इस पुरानी परंपरा को नहीं निभाना चाहता था कि सबसे बड़े बेटे को ही गद्दी पर बिठाया जाए। वह सबसे बुद्धिमान और काबिल बेटे को सत्ता सौंपना चाहता था।

लड़कपन में वणिक्-पुत्र सुना करता कि सात समुद्र, नव द्वीप के पार एक स्फटिकमय भूमि है। वहाँ एक तपस्वी क्या जाने कब से अविराम तप कर रहा है और उसकी पवित्रता के कारण सूर्यनारायण निरंतर उसकी परिक्रमा किया करते हैं और उसके तेज़ से वहाँ कभी अंधकार नहीं होता। उस राय कृष्णदास

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

तीसरे बेटे ने दो दिन तक इस पर चिंतन मनन किया  कि महल को सिर्फ एक सिक्के से कैसे भरा जा सकता है। वह वाकई कुछ ऐसा करना चाहता था, जिससे पिता की उम्मीद पूरी होती हो।

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